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Japani Currency Grass Export: जापान की 'करंसी' की खेती कर किसान हुए मालामाल! जानिए कैसे?

नेपाल की अर्गेली नामक जंगली झाड़ी इसका ऑप्शन हो सकती है। इससे पहले तक, नेपाल में हिमालय की तराई में रहने वाले पासंग शेरपा जैसे कई किसान इन झाड़ियों को जलाऊ लकड़ी की तरह प्रयोग में लाते थे। 2015 में नेपाल में आए भूकंप के बाद, जापानियों ने नेपाल के किसानों को इस प्रकार की झाड़ी को उगाने और इससे येन के लिए लायक कागज बनाने की ट्रेनिंग देने के लिए वहां एक्सपर्ट को भेजा। 
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Japani Currency Grass Export: जापान की 'करंसी' की खेती कर किसान हुए मालामाल! जानिए कैसे?

Japani Currency Grass Export: 2016 में भारत में नोटबंदी के बाद, रिज़र्व बैंक ने 1000 रुपये के नोट को बंद करके 2000 रुपये के नोट को चलन में लाया। इसी तरह, कई देशों ने समय-समय पर अपनी मुद्रा के डिज़ाइन और रंग में बदलाव किया है। कई बार, इसके उपयोग में आने वाले सामग्री में भी परिवर्तन किया गया है। अब, इसी तरह की पहल जापान में होने जा रही है। जापान ने अपनी मुद्रा को बनाने में बड़े बदलाव की योजना बनाई है।

जुलाई से जापान में नई करंसी को लागू क‍िया जाएगा

इस बदलाव के बाद, जापान की मुद्रा विशेष प्रकार के कागज पर प्रिंट की जाएगी। यह पेपर जापान में नहीं बनाया जाएगा, बल्कि इसे अन्य देशों से आयात किया जाएगा। इस बार, जुलाई माह से जापान में नई मुद्रा को लागू किया जाएगा। इस साल, जापानी येन के लिए यह काफी महत्वपूर्ण होने वाला है। हर 20 साल में, जापानी येन को रीडिज़ाइन करके उसके नए रूप को दिया जाता है। पहले इस बदलाव का अनुमान 2004 में था।

मित्सुमाता की सप्लाई प‍िछले कुछ समय से घट गई
अब जुलाई 2024 से नए नोट चलन में आएंगे. इसके भी ज्‍यादा जरूरी बात यह है क‍ि जापान में बैंक नोट छापने के लिए यूज होने वाला पारंपरिक कागज मित्सुमाता की सप्लाई प‍िछले कुछ समय से घट गई है. दरअसल, अभी जापान की करंसी को बनाने के ल‍िए मित्सुमाता का इस्‍तेमाल क‍िया जाता है. जापानी सरकार के लिए कागज बनाने वाली कंपनी कानपौ के अध्‍यक्ष को पता था कि मित्सुमाता की पैदावार हिमालय में हुई थी. इसल‍िए जब जापानी करंसी को बनाने वाले कागज की कमी हुई तो उन्होंने नेपाल के तराई क्षेत्र में क‍िसी व‍िकल्‍प की खोज की.

जापान‍ियों के जंगली झाड़ी बनी ऑप्‍शन
उन्हें पता चला कि नेपाल की अर्गेली नामक जंगली झाड़ी इसका ऑप्शन हो सकती है। इससे पहले तक, नेपाल में हिमालय की तराई में रहने वाले पासंग शेरपा जैसे कई किसान इन झाड़ियों को जलाऊ लकड़ी की तरह प्रयोग में लाते थे। 2015 में नेपाल में आए भूकंप के बाद, जापानियों ने नेपाल के किसानों को इस प्रकार की झाड़ी को उगाने और इससे येन के लिए लायक कागज बनाने की ट्रेनिंग देने के लिए वहां एक्सपर्ट को भेजा। नेपाल के किसान पासंग कहते हैं कि मैंने सोचा भी नहीं था कि यह झाड़ी एक दिन जापान को एक्सपोर्ट हो सकती है और इससे हमें लाखों की आमदनी भी हो सकती है।

क‍िसानों को हो रही अच्‍छी कमाई
अब जब जापान की तरफ से अरगेली नामक जंगली झाड़ी को उगाने का प्रश‍िक्षण क‍िसानों को द‍िया गया तो नेपाल के हजारों क‍िसानों ने इसकी खेती शुरू कर दी है. खेती से होने वाली फसल को व्‍यापारी अच्‍छी कीमत पर खरीद रहे हैं. व्‍यापारी इस घास को इकट्ठा करके जापान को न‍िर्यात कर रहे हैं. न‍िर्यात क‍िये जाने से क‍िसान और व्‍यापारी दोनों को अच्‍छा फायदा हो रहा है.