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अब इस खरपतवार से करें कमाई! जानिये कैसे सिरदर्द नहीं मुनाफा देगी जलकुंभी

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अब इस खरपतवार से करें कमाई! जानिये कैसे सिरदर्द नहीं मुनाफा देगी जलकुंभी
Jhalko Media, Kisan Desk : जहां भी पानी का ठहराव होता है जैसे कि तालाब या पोखर वहां अपने आप कुछ खरपतवार उग जाते है। गांवों में अक्सर यह देखा जाता है। वहीं तालाबों में उगने वाली जलकुंभी भी है। लोग इसे कोई काम का नहीं मानते है। लेकिन अब यह बड़े काम की साबित होने वाली है। किसानों के लिए अभिशाप मानी जाने वाली जलकुंभी अब मददगार साबित होने वाली है। आइये जानते है कैसे?

किसान मानते है जलकुंभी को अभिशाप

किसान खुद ही जलकुंभी को तालाबों से निकालते है। ऐसे में इन्हे निकालने में किसानों को बड़ी दिक्क्तों का सामना करना पड़ता है। ऊपर से इस बात की कोई गारंटी नहीं रहती कि अगले साल ये खरपतवार नहीं उगेगें। ये भी पढ़ें : PM-Kisan Scheme: 1 फरवरी के दिन किसानों को मिल सकता है बड़ा तोहफा! जानिए क्या है खास इसे खरपतवार नाशक की सहायता से भी नष्ट किया जाता है, लेकिन यह कार्बनिक पदार्थ में परिवर्तित हो जाती है। जलकुंभी जिसे एक प्रकार का खरपतवार माना जाता है। अधिकांश लोग इसे अब तक अभिशाप ही मानते आए हैं। लेकिन, एक रिपोर्ट के मुताबिक, देविनेनी मधुसूदन जो कि एक प्रगतिशील किसान हैं, उन्होंने जलकुंभी का उपयोग करके जैविक खाद बनाई है. इस खाद की कीमत केवल 5 रुपये प्रति किलोग्राम है।

जलकुंभी से बन रही है उच्च श्रेणी की खाद

डीजल इंजन द्वारा संचालित मशीन से पहले तो बड़ी आसानी से जलकुंभी को बाहर निकाला जाता है। इसके बाद इसे कई टुकड़ों में काट लिया जाता है, फिर इन सभी टुकड़ों के उपयोग से उच्च श्रेणी की खाद बनाई जाती है। ये भी देखें : UP Sugarcane Price: यूपी के किसानों की बल्ले बल्ले, गन्ना मूल्य हुए तय; जल्द होगी घोषणा इस अनोखी मशीन को गोदास नरसिम्हा ने बनाया है। उन्होंने अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी थी और इस मशीन को बनाने में लग गए थे। वहीं उन्होंने कहा की सरकार को इसमें मदद करनी चाहिए जिससे कई किसानों को इसका फायदा होगा।