Jhalko Media

Online Gaming कर सकता है बच्चों के मानसिक संतुलन पर नुकसान, पेरेंट्स को अपनानी चाहिए ये 5 बातें

 | 
Online Gaming कर सकता है बच्चों के मानसिक संतुलन पर नुकसान, पेरेंट्स को अपनानी चाहिए ये 5 बातें
Lifestyle Desk, New Delhi: Parenting Tips - हर चीज का मानक होता है और इसे आदत से बाहर न जाने पर नुकसानकारी हो सकता है। इसी रूप में, बच्चों की ऑनलाइन गेमिंग की बढ़ती आदतें उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डाल सकती हैं। पेरेंट्स के लिए यह सिचुएशन कठिनाईयों भरा हो सकता है। इस बच्चों की लव मारिज के समाप्त होने की कहानी नहीं है, और इन गेमों का क्रेज इतना है कि छात्र अपनी पढ़ाई और नौकरी जैसी गतिविधियों को हो सकते हैं भूल जाते हैं। यदि आप भी इस आदत को छुड़ाने के लिए लाख कोशिशें कर रहे हैं, तो नीचे हमने ऐसी 5 बातें बताई हैं जिन्हें अपनाकर आप अपने बच्चे की ऑनलाइन गेमिंग को नियंत्रित कर सकते हैं।

बातचीत करें:

अक्सर माता-पिता बच्चे की गेमिंग को लेकर उन्हें डांटने की कोशिश करते हैं, जिससे बच्चा और जिद्दी हो सकता है। इससे बचने के लिए, बच्चे से बैठकर बातचीत करें और जानें कि उन्हें गेम्स में क्या पसंद है और उन्हें इसमें कैसा मजा आता है। यह स्थिति को सहज बना सकता है और बच्चे को आपकी बातों को सुनने के लिए प्रेरित कर सकता है।

शेड्यूल पर गौर करें:

माता पिता को बच्चे के दिनचर्या के बारे में जानकारी रखनी चाहिए। बच्चे की गतिविधियों पर ध्यान देकर, उन्हें बताएं कि उन्हें जब गेमिंग का समय मिलेगा। थोड़े-थोड़े दिनों में उनके साथ समय बिताएं और उन्हें नई चीजें सिखाएं ताकि वे गेमिंग को पीछे रखने में मदद कर सके।

ऐज रेटिंग देखें:

जो गेम्स बच्चा खेलता है, उनकी ऐज रेटिंग को चेक करें। अगर वह उम्र के मुताबिक नहीं है, तो उसे समझाएं कि ये उचित नहीं है और वह उसे छोड़ने की कोशिश करें। जब बच्चा इसे स्वीकारता है, तो उसे इसके नुकसानों को समझाने में मदद करें, लेकिन यह ध्यान रखें कि आपका व्यक्तिगत भाषा सही हो।

हिंसक गेम्स न खेलने दें:

बच्चों को हिंसक या गंभीर गेम्स से दूर रखें, क्योंकि इनका प्रभाव उनके मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक हो सकता है। इन गेम्स का प्रभाव इतना हो सकता है कि बच्चा वास्तविक जीवन से दूर हो जाता है और गुस्सा और हिंसा की भावनाओं का संचार हो सकता है।

खुद पर भी ध्यान दें:

बच्चों को गेमिंग से दूर रहने के लिए कहते हुए, अपने आप पर भी ध्यान दें। यदि आप खुद भी दिनभर मोबाइल या गैजेट्स के साथ चिपके रहते हैं, तो बच्चा यह सोच सकता है कि आपकी ये कहानी उसके लिए क्यों नहीं हो सकती। इसलिए, आप भी उनके सामने गैजेट्स से थोड़ी दूरी बनाएं रखें ताकि आपकी बातें उसे भी सीरियसली लगें।