लिथियम भूल जाइए, रूई से चलेगी बैट्री; जानिए कैसे?

जापानी कंपनी ने इस पूरी प्रक्रिया को अभी सीक्रेट रखा है। कंपनी ने यह नहीं बताया है कि कितना तापमान है या वातावरण कैसा है। दबाव को भी सीक्रेट रखा गया है। फिर भी कुछ रहस्‍य सामने आए हैं।

जापानी कंपनी ने इस पूरी प्रक्रिया को अभी सीक्रेट रखा है। कंपनी ने यह नहीं बताया है कि कितना तापमान है या वातावरण कैसा है। दबाव को भी सीक्रेट रखा गया है। फिर भी कुछ रहस्‍य सामने आए हैं।

जापानी कंपनी के एक अधिकारी के मुताबिक रूई से इस कार्बन को बनाने के लिए 3,000C तापमान की जरूरत होती है। एक किलो रूई से 200 ग्राम कार्बन पैदा होता है।

कंपनी के मुताबिक एक बैट्री सेल बनाने के लिए 2 ग्राम कार्बन की जरूरत होती है। इस बैट्री को कंपनी ने जापान के क्‍यूशू विश्‍वविद्यालय की मदद से तैयार किया है।

जब बैटरी चार्ज हो रही होती है तो आयन एक दिशा में और जब वह किसी डिवाइस को ऊर्जा छोड़ती है तो दूसरी दिशा में चलते हैं। कपड़ा उद्योग से निकलने वाले घटिया कपास से भी एनोड बनाया जा सकता है।

दुनिया में इलेक्ट्रिक वाहनों और ऊर्जा को स्‍टोर रखने के विशाल सिस्‍टम की वजह से आने वाले समय बैट्रियों की भारी डिमांड बनी रहेगी। कई कंपनियां लिथियम का विकल्‍प तैयार करने में जुट गई हैं।

जापानी कंपनी ने कहा कि कपास आसानी से भारत समेत पूरी दुनिया में उपलब्ध है और इससे आसानी से बैट्रियों का निर्माण किया जा सकता है। लिथियम को निकालने में पर्यावरण दिक्‍कतें भी हैं। भारत कपास का बड़ा उत्‍पादक है।

वैज्ञानिक समुद्र के पानी से भी बैट्री को चलाने की तकनीक पर काम कर रहे हैं। इससे आने वाले समय में कई स्रोत तैयार हो जाएंगे।